Thursday, November 19, 2009

क्षमा मार्दव उत्साह उमंग

आज एक बार फिर मुझे क्षमा का महत्व ज्ञात हुआ। आज सुबह किसी बात को लेकर पत्नी से कुछ नाराजी हुई। हालाँकि मैंने माफी मांगी, पर वह गुस्से में होने की वजह से न केवल माफ नहींकिया परन्तु और भी नाराज हुई। यह सब देख सुनकर मेरी नाराजी बढ़ी और मैं मन ही मन उसे दोष देता रहा, यहाँ तक की उसके घर वालों, खासकर मम्मी को भी मन ही मन बुरा समझता रहा। फिर ऑफिस आने पर किसी मित्र की ईमेल से, कुछ भान हुआ कि नहीं, मैंने क्षमाभाव बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए। जैसा मैं स्वयं हमेशा कहता हूँ कि क्षमा और मार्दव से परम शान्ति मिलती है, तो मैंने ही उसको मानना चाहिए।

इन्ही क्षमा मार्दव भावों के साथ मैं हमेशा उत्साह और उमंग की भी जाप देता था और हूँ भी। और आज कल मैं उत्साह और उमंग में काफी विश्वास कर रहा हूँ, और सभी को बता रहा हूँ। मेरा मानना है कि उत्साह और उमंग ही मनाव को निरंतर प्रेरित रखतें हैं। इसीलिए आज एक बार फिर प्रण करता हूँ कि मैं क्षमा, मार्दव, उत्साह और उमंग के जाप को हमेशा देता रहूँगा और जीवन में उतारता रहूँगा।

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