Sunday, November 8, 2009

सफलता, आख़िर क्या है,

आज की पोस्ट फिर मैं हिन्दी में लिख रहा हूँ।

मैंने हाल ही में लैंडमार्क की Success Seminar का सातवाँ सेसन समाप्त किया; और पाया कि सफलता कोई ध्येय पर पहुंचने के लिए नहीं अपितु कदम आगे बढ़ाने के लिए होती है। अगर हम सफल व्यक्ति की तरह अपने आप को सोच समझ कर किसी राह पर चल दें तो सफलता हमें अपने आपही प्राप्त होगी, क्योंकि हम सफलता की चाहत नहीं बल्कि उसे मानकर ही चल रहें होंगें इसीलिए हमें सारे रास्ते खुलते जायेंगें और हमारे सारे प्रयास सफलता की कुंजी लेकर ही होंगें।

बस आज कुछ इतना ही।

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