आजकल कुछ ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन के एक नए अध्याय में पहुँच गया हूँ,. एक कारण यह कि आजकल मैं दूसरों को सुधारने कि बजाय स्वयं सुधरने पर ध्यान दे रहा हूँ. अब लोगों और परिस्तिथियों को स्वीकारना लगभग सीख ही लिया है. और 'सब ठीक है' के मन्त्र का भी प्रतिदिन मनन जारी है.
फोटोग्राफी भी आजकल अपने iPhone को उपयोग कर बहुत तादात में हो रही है. उसके साथ साथ Facebook पर सबके साथ बांटना भी शुरू है. अपनी इन आदतों से स्वयं कुछ प्रसन्न भी हूँ.
जीवन ऐसे ही प्रतिदिन अपने सुधार की ओर अग्रसर रहे, और अपने अगले पड़ाव अध्यात्म में जा बसे, इसी कामना के साथ, आज बस.
फोटोग्राफी भी आजकल अपने iPhone को उपयोग कर बहुत तादात में हो रही है. उसके साथ साथ Facebook पर सबके साथ बांटना भी शुरू है. अपनी इन आदतों से स्वयं कुछ प्रसन्न भी हूँ.
जीवन ऐसे ही प्रतिदिन अपने सुधार की ओर अग्रसर रहे, और अपने अगले पड़ाव अध्यात्म में जा बसे, इसी कामना के साथ, आज बस.